“सिक साइनस सिंड्रोम (एसएसएस)” नामक यह बीमारी 65 साल से ऊपर उम्र के हर 600 लोगों में से एक को होती है। यह साइनस नोड जो कि हृदय का प्राथमिक पेसमेकर है, उसमें आयी खराबी के कारण उत्पन्न होती है। इसके होने के कई कारण हो सकते हैं।
रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से संबंद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के कार्डियोलॉजिस्ट की टीम ने हाल ही में हृदय के “सिक साइनस सिंड्रोम” नामक बीमारी से ग्रस्त एक ऐसे मरीज का इलाज किया है जिसके हृदय की धड़कन कभी एकदम कम हो जाती थी और कभी अनियमित तौर पर बढ़ जाती थी। ऐसी स्थिति में उसके दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए एसीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. शिवकुमार शर्मा एवं टीम ने अत्याधुनिक एवं उन्नत तकनीक से युक्त सीआरटी डी यानी कार्डियक रीसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी विद डिफाइब्रिलेटर डिवाइस को मरीज के हृदय में प्रत्यारोपित किया है। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, इस डिवाइस की खासियत है कि यह स्मार्टफोन ऐप से कनेक्ट होकर हृदय की गतिविधियों की निगरानी एक आभासी (वर्चुअल) कार्डियोलॉजिस्ट की तरह करता है। चूंकि यह मरीज बेमेतरा जिले के दूरस्थ गांव में रहता है इसलिए यह डिवाइस हृदय की दूरस्थ निगरानी (रिमोट मॉनिटरिंग) करता है। यह ब्लूसिंक तकनीक पर आधारित है। इस ऐप के जरिए मरीज के हृदय की गतिविधि की जानकारी और ऐल्गोरिदम डेटा प्राप्त होती है। किसी अप्रत्याशित स्थिति में यह अलग-अलग रंग के सिग्नल के माध्यम से डॉक्टरों को अलर्ट भी भेजता है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने साझा की
डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज के हार्ट की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए ऐसा तकनीक वाला डिवाइस लगाने का निर्णय लिया, जो मरीज के मोबाइल के
डिवाइस के जरिए आते है लेखा-जोखा एसीआई को भेजा जा सके। तीन तरह के सिग्नल
माध्यम से हार्ट की एक-एक धड़कन का यह नई टेक्नोलॉजी अभी आई है। डिवाइस मोबाइल के जरिए कनेक्ट हो जाता है। कई बार शॉक देने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें मरीज को अलर्ट करने के लिए तीन तरह के संकेत आते हैं। ग्रीन सिग्नल यानी सब कुछ ठीक-ठाक है। सामान्य है। ऑरेंज सिग्नल यानी थोड़ी चिंता करने की जरूरत है। रेड सिग्नल यानी धड़कन तेज है। शॉक बढ़ाने की जरूरत है। इन सिग्नल के जरिए समय रहते हम हार्ट की रिमोट मॉनिटरिंग करके मरीज का उपचार कर सकते हैं। समय पर दवा दे सकते हैं। हम एसीआई में बैठकर ही आपात स्थिति में मरीज के हृदय का निर्देशों के माध्यम से उपचार कर सकते हैं। यह हार्ट का वर्चुअल एल्गोरिदम बता देता है।