उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने दाल पर स्टॉक लिमिट लगाया है. तत्काल प्रभाव से बिग चेन रिटेलर्स, होल सेलर, स्टॉकिस्ट के लिए लिमिट तूर, चना, कबूली चना पर भी लिमिट लगाई गई.!
भारत सरकार ने तूर और चना की जमाखोरी और अनुचित सट्टेबाजी को रोकने और ग्राहकों के लिए इनकी सुलभता में सुधार करने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी चेन रिटेलर्स, मिलर्स और आयातकों पर स्टॉक लिमिट लागू की गई है. तूर, चना, काबुली चना पर भी लिमिट लगाई है. 30 सितंबर तक लिमिट लागू रहेगी. ये आदेश आज यानी 21 जून, 2024 से प्रभावी हो गया है. आदेश के मुताबिक संबंधित कानूनी इकाइयों को उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति घोषित करनी होगी. यदि उनके पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक हो तो उन्हें 12 जुलाई, 2024 तक इसे निर्धारित सीमा में लाना होगा!!
उपभोक्ता मामले के मंत्रालय के आदेश के मुताबिक थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन; खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन; प्रत्येक खुदरा आउटलेट पर 5 मीट्रिक टन और बड़े चेन रिटेलर्स के डिपो में 200 मीट्रिक टन; मिलर्स के लिए पिछले 3 महीनों का उत्पादन या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25%, जो भी अधिक हो स्टॉक लिमिट होगी. आयातकों को कस्टम क्लीयरेंस की तारीख से 45 दिनों से अधिक आयातित स्टॉक नहीं रखना होगा!
तूर और चना पर स्टॉक लिमिट लागू करना, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों में से एक है. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने स्टॉक डिस्क्लोजर पोर्टल के जरिए दलहन की स्टॉक स्थिति की कड़ी निगरानी की थी. विभाग ने अप्रैल 2024 के पहले हफ्ते में राज्य सरकारों को सभी स्टॉक होल्डिंग इकाइयों द्वारा अनिवार्य स्टॉक डिस्क्लोजर को लागू करने के लिए सूचित किया था, जिसके बाद अप्रैल के अंतिम हफ्ते से 10 मई, 2024 तक देशभर में प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों और व्यापारिक केंद्रों का दौरा किया गया था!
सरकार ने व्यापारियों, स्टॉकिस्टों, डीलरों, आयातकों, मिलर्स और बड़े चेन रिटेलर्स के साथ अलग-अलग बैठकें भी आयोजित की गईं ताकि उन्हें स्टॉक की सच्ची जानकारी देने और उपभोक्ताओं के लिए दलहन की सुलभता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. गौरतलब है कि सरकार ने 4 मई, 2024 से देसी चना पर 66% आयात शुल्क को घटा दिया था ताकि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिल सके. इस शुल्क में कमी ने आयात को सुविधा मिली है और प्रमुख उत्पादन वाले देशों में चना की बुवाई को बढ़ावा दिया है!