एसटी आयोग ने परसा कोयला ब्लॉक की वन मंजूरी को रद्द करने कहा
राजस्थान राज्य । विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को मिली है। परसा खदान
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने राज्य के सरगुजा संभाग में प्रस्तावित परसा कोयला खदान के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की है। आयोग ने ग्राम सभा के प्रस्तावों में अनियमितताएं पाए जाने का हवाला देते हुए सिफारिश की है, जिसके आधार पर परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त की गई थी। आयोग ने प्रस्तावित खदान से प्रभावित गांवों-साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर में परियोजना के वास्ते अनुमति मांगने के लिए फिर से ग्राम सभा आयोजित करने की भी सिफारिश की है।
आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बुधवार को बताया, आयोग ने सरगुजा कलेक्टर को लिखे पत्र में परियोजना के लिए वनों की कटाई रोकने की सिफारिश की है तथा उन्हें परियोजना के लिए ग्राम सभा के फर्जी प्रस्तावों से संबंधित शिकायतों पर आयोग के निष्कर्ष उपलब्ध कराए हैं। सिंह ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि परसा परियोजना के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल की गई है, जिसके बाद आयोग ने जांच की।
आयोग ने एकतरफा कार्रवाई की: आरआरवीयूएनएल इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरआरवीयूएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आयोग के अध्यक्ष पर परसा कोयला परियोजना के संदर्भ में एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया। अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर आरआरवीयूएनएल द्वारा प्रस्तुत जवाब और दस्तावेजों का संज्ञान लिए बिना अध्यक्ष ने दुर्भावना से एकतरफा कार्रवाई की है। पत्र में आयोग के सचिव के दस्तखत भी नहीं है। ये केस हाईकोर्ट में खारिज हो चुके हैं और केस डायरी नंबर 30438/2022 सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर निगम उचित कार्यवाही करेगा।
ग्राम सभा के फजी प्रस्ताव? : आयोग द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान ग्राम सभा के प्रधान, तत्कालीन सरपंच, निवर्तमान सरपंच और पंचायत सचिव ने पुष्टि की कि क्रमांक 21 तक के प्रस्तावों पर ग्राम सभा में चर्चा और अनुमोदन किया गया था, जबकि क्रमांक 22 पर लिखे प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी गई थी। प्रस्ताव संख्या 22 को बैठक के बाद धोखाधड़ी से जोड़ा गया जिसका विषय था ‘कोयला ब्लॉक खोलने’ पर कोई आपत्ति नहीं है। दोनों गांवों में ग्राम सभा की बैठक के समापन और उपस्थित लोगों के कार्यवाही रजिस्टर में हस्ताक्षर लेने के बाद, प्रस्ताव संख्या 22 को धोखाधड़ी से जोड़ा गया। पत्र में कहा गया है कि अपनी जांच के बाद आयोग ने निष्कर्ष निकाला है कि परसा कोयला ब्लॉक के लिए पर्यावरण मंजूरी और वन भूमि के उपयोग में परिवर्तन की अनुमति प्राप्त करने के लिए आरआरवीयूएनएल ने कथित तौर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों का दुरुपयोग किया। पत्र में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का अवैधानिक कृत्य ग्राम सभा के अधिकारों पर भी हमला है।