हमर राज के जुन्ना अउ लोक परपंरा बड़ सुग्घर हे।जतका सुग्घर हमर परपंरा हे ओतकेच सब ले अलग हे। भगवान कृष्ण के जनम दिन ल हम सबो भारतवासी मन जन्माष्टमी के रुप म बड़ उछाह ले मनावत आवत हन फेर हमर छत्तीसगढ़ म हमन जुन्ना बेरा ले एला आठे तिहार या आठे कन्हैया कहिथन। बदलत बेरा अउ सोशल मीडिया के माध्यम ले जब हम आने संस्कृति अउ आन राज के मनखे ले जुरत हन ता वैचारिक लेन-देन के संग सांस्कृतिक लेन-देन घलो होवत हे अउ हम छत्तीसगढ़िया मन तो अपनेच मूल संस्कृति ल छोड़ के दूसर के धराए संस्कृति, नेंग-जोंग ल सट्ट ले धर लेथन अउ अपन ल बिसार देवत हन।
आठे भित्ति चित्र:- सब मनखे के अपन-अपन पुजा करे के तरिका होथे। जउन मनखे ल जइसे अपन भाव देखाए बर आथे उही भाव ले भगवान के भक्ति करथें। अभी के बेरा म तो हम मोबाइल के फोटू ल छपवा के निकाल सकथन अउ जगह जगह भगवान के फोटू मन असानी ले मिल जाथे। जुन्ना बेरा म भगवान मन के फोटू असानी ले नइ मिलत रिहीस त हमर सियान मन एकर उपाय खोजिन। भादो अंधियारी पाख आठे के दिन भगवान ह अवतार ले हावय अउ माता देवकी के आठवां लइका भगवान कृष्ण हरय। इही आठ के आंकड़ा ल सुरता राख के हमर सियान मन पूजा-पाठ के ठउर मेर भिथिया म माहुर,भेंगरा पान,सेमी, तरोई पान के रसा ले आठ लइका के चित्र ल बनावय,कोनो चौंरा बना के,कोनो ह नांव म बनाए अउ ओकरे पूजा करय।
आठे तिहार हमर जुन्ना परंपरा,हमर कला के सुग्घर चिन्हारी आए। जेन ल सहेज के राखे के जिम्मेदार हम आज नवा लइका मन खाँध म हे।पुरखा मन ल सियान मन ल संग रखना हे त उंकर बताए रद्दा म अउ हमर संस्कृति ल संग म धर के रेंगे ल परही।
आप जम्मो झन ल आठे जोहार। लिखइया – नागेश कुमार वर्मा
टिकरापारा रायपुर