हरियाणा में 13 किसानों की गिरफ्तारी के साथ 18 पर एफआईआर,यूपी, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों पर सैटेलाइट से निगरानी कर कार्रवाई की जा रही है. हरियाणा के अंबाला में किसान नेता ने इस कार्रवाई की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों में अशांति पैदा होगी. किसान जुर्माने का एक पैसा नहीं देंगे.
मामले पर अखिल भारतीय किसान महासंघ (एआईएफएफ) ने भी नाराजगी जताई है। महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि हरियाणा, पंजाब, यूपी सहित अन्य राज्यों के किसान सरकार के इस कार्रवाई पर आंदोलित हो रहे हैं। वैसे भी किसानों की गिरफ्तारी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि सरकार और किसानों को बैठकर हल निकाला चाहिए। त्रिपाठी ने कहा कि महासंघ सरकार से इस मसले पर संवाद के जरिए हल निकालने को लेकर तैयार है।
‘प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान जिम्मेदार नहीं’
उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन हर गांव में पराली प्रबंधन मशीनें उपलब्ध कराता है तो किसान खुद ही पराली नहीं जलाएंगे. किसान नेता ने तर्क दिया कि प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से किसान जिम्मेदार नहीं है, बल्कि उद्योगों की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. उन्होंने सरकार से किसानों को दंडित करने के बजाय मूल समस्याओं को दूर करने का आग्रह किया. सुरेश कोथ ने नमी की मात्रा के कारण धान की खरीद के दौरान की जाने वाली कटौती पर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने स्थानीय किसान नेता सुखविंदर सिंह जलबेड़ा को अपने संगठन का जिला प्रधान नियुक्त किया है.
हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने पर किसानों पर हो रही कानूनी कार्रवाई “पर राजनीति तेज हो गई है। हरियाणा में तो 13 किसानों की गिरफ्तारी के साथ 18 किसानों पर एफआईआर किया गया। वहीं पंजाब में भी यह सिलसिला जारी है। इसे लेकर विपक्ष और किसान संगठनों ने आपत्ति जंताई है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि किसानों को दंडित करना समाधान नहीं है बल्कि उन्हें वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए जिससे वह खुद पराली प्रबंधन कर सकें। वैसे भी ट्रैक्टरों और पानी के इस्तेमाल से पराली को मिट्टी में मिलाने का खर्च प्रति एकड़ 5000 रुपये से अधिक होता है, जो छोटे और मझोले किसानों के लिए एक भारी बोझ है।
हरियाणा में सरकार बदलते ही कृषि विभाग के 24 अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है। सरकार मंगलवार को 24 कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है। इसमें एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर से लेकर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर तक कर्मचारी शामिल हैं। जा रहा बताया है कि प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर हरियाणा सरकार ने यह कार्रवाई की है। सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सस्पेंड किए गए कर्मचारियों में सोनीपत के दो, पानीपत के दो, हिसार के दो, जींद के दो, कैथल के तीन, करनाल के तीन, फतेहाबाद के तीन, कुरुक्षेत्र के चार और अंबाला के तीन कर्मचारी शामिल हैं।
पराली जलाने से रोकने में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ-साथ पैनल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को भी फटकार लगाई थी। इसके साथ ही दोनों राज्यों के मुख्य सचिव को 23 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने को कहा था। इससे पहले ही हरियाणा सरकार ने अपने यहां बड़ी कार्रवाई की है।
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई। हरियाणा सरकार की कार्रवाई से भी सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया। कोर्ट ने कहा कि हमें सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें।
जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकार की खेतों में पराली जलाने से रोकने की कोशिशों को महज दिखावा बताया।
कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वास्तव में कानून लागू करने में रुचि रखती हैं तो कम से कम एक मुकदमा तो चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। प्रदूषण में रहना अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।