गुरु पूर्णिमा भारत में अपने आध्यात्मिक या फिर अकादमिक गुरुओं के सम्मान में, उनके वंदन और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला पर्व है.
हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है, जिस दिन सभी शिष्य अपने-अपने गुरु के प्रति आभार जताते हैं.रमाकांत आचरेकर ही थे, जिन्होंने सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के भगवान बनने में मदद की।कोच आचरेकर अब इस दुनिया में नहीं हैं,सचिन उनको याद कर गुरु पूर्णिमा मनातें हैं
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं
लगभग 3000 ई.पूर्व पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन बनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों के सम्मान और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अपने गुरु और गुरु तुल्य वरिष्ठजनों को मान-सम्मान देते हुए उनका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए। साथ ही जीवन में मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें गुरु दक्षिणा देने का भी महत्व है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है। माना जाता है कि जो मनुष्य गुरु पूर्णिमा का व्रत रखता है और दान-पुण्य करता है, उसे जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन के बाद मोक्ष मिलता है।