पड़ोसी देश बांग्लादेश की तीस्ता नदी के जल प्रबंधन का काम हथियाने को इच्छुक चीन को फिलहाल मुंह की खानी पड़ी है। नई दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की आमंत्रित पीएम शेख हसीना के बीच बैठक में यह सहमति बनी है कि तीस्ता नदी जल प्रबंधन पर वार्ता के लिए शीघ्र ही भारत की एक तकनीकी टीम ढाका का दौरा करेगी।
नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश की तीस्ता नदी के जल प्रबंधन का काम हथियाने को इच्छुक चीन को फिलहाल मुंह की खानी पड़ी है। नई दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की आमंत्रित पीएम शेख हसीना के बीच बैठक में यह सहमति बनी है कि तीस्ता नदी जल प्रबंधन पर वार्ता के लिए शीघ्र ही भारत की एक तकनीकी टीम ढाका का दौरा करेगी।
शेख हसीना से तीस्ता पर हुई बात
इसकी घोषणा स्वयं पीएम मोदी ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान की। यह टीम तीस्ता नदी के गाद को साफ करने और इसे पुराने स्वरूप में पुनस्र्थापित करने का रोडमैप तैयार करेगी। इसके साथ ही गंगा जल नदी बंटवारे को नये सिरे से लागू करने और एक समग्र कारोबार समझौते पर भी वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। भारत में पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद पीएम हसीना पहली वैश्विक नेता हैं जो आधिकारिक यात्रा पर आमंत्रित की गई हैं।
शनिवार को दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक के बाद 10 समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये गये हैं। इसमें तीस्ता को लेकर बनी सहमति कई मायनों में खास है। तीस्ता नदी भारतीय राज्य सिक्कम व पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। हसीना सरकार ने तीन वर्ष पहले इसकी सफाई करने और इसका पुराना स्वरूप लाने की योजना बनाई थी। इस पर तकरीबन एक अरब डॉलर (मौजूदा कीमत में 8300 करोड़ रुपये) की लागत आने की संभावना है।
तीस्ता विवाद पर भारत ऐसा नहीं चाहता था
बांग्लादेश की मीडिया के मुताबिक, चीन की तरफ से इस नदी के जल प्रबंधन का पूरा कार्य अपनी लागत से कराने का प्रस्ताव हसीना सरकार को दिया गया है। चीन को इस काम का ठेका मिलने का मतलब होता कि इस नदी का सारा डाटा उसके पास चला जाता। चीन के साथ अपने रिश्तों की संवेदनशीलता व तीस्ता नदी की अहमियत को देखते भारत ऐसा नहीं चाहता था।
पीएम हसीना अगले महीने (जुलाई, 2024) में बीजिंग की यात्रा पर जाने वाली हैं। कई जानकार बताते हैं कि बीजिंग यात्रा से पहले भारत के साथ तीस्ता पर बात करके हसीना ने चीन की तरफ से पड़ने वाले किसी संभावित दबाव के खतरे को टाल दिया है। भारत और बांग्लादेश के 54 नदियों को साझा करते हैं और इसको लेकर दोनों देशों में कई तरह का सहयोग चल रहा है।