महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। पौष पूर्णिमा पर आज पहला स्नान है। इस मौके पर 1 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। संगम नोज पर हर घंटे में 2 लाख लोग स्नान कर रहे हैं। आज से ही श्रद्धालु 45 दिन का कल्पवास शुरू करेंगे।संगम में पारा 12 डिग्री
2025 के इस महाकुंभ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है, जो गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत स्नान करेंगे। इसके साथ ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर महाकुंभ की प्राचीन परंपरा कल्पवास का निर्वहन करेंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालु एक माह तक नियमपूर्वक संगम तट पर कल्पवास करेंगे।
एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ पहुंच चुकी हैं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में अनुष्ठान किया। वह कल्पवास भी करेंगी।
महाकुंभ को लेकर गूगल ने भी खास फीचर शुरू किया। महाकुंभ टाइप करते ही पेज पर वर्चुअल फूलों की बारिश हो रही है।
मेला क्षेत्र में गंगा जी के तट पर झूंसी से फाफामऊ तक लगभग 1.6 लाख टेंट, कल्पवासियों के लिए लगवाए गए हैं। इन सभी कल्पवासियों के टेंटों के लिए बिजली, पानी के कनेक्शन के साथ शौचालयों का निर्माण कराया गया है। कल्पवासियों को अपने टेंट तक आसानी से पहुंचने के लिए चेकर्ड प्लेट्स की लगभग 650 किलोमीटर की अस्थाई सड़कों और 30 पंटून पुलों का निर्माण किया गया है।
कब कहां कौन-सा कुंभ
विष्णु पुराण के मुताबिक सूर्य व चंद्रमा मकर राशि में और गुरु मेष राशि में होता है तो प्रयागराज में कुंभ लगता है। गुरु कुंभ और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो हरिद्वार में कुंभ लगता है। सूर्य व गुरु सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में और गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तो उज्जैन में कुंभ लगता है।
अर्ध कुंभः हर 6 साल में हरिद्वार व प्रयागराज में होता है। बृहस्पति वृश्चिक और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब अर्ध कुंभ लगता है।
कुंभः हर 12 साल में चार स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।
पूर्ण कुंभः हर 12 साल में प्रयागराज में होता है।
महाकुभः 12 पूर्ण कुंभ के बाद हर 144 साल में प्रयाग