रायपुर :देश में एक जुलाई से हो रहे नए आपराधिक कानून के संबंध में रायपुर जिला एवं सत्र न्यायालय में गुरुवार को नए कानून की जागरूकता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वक्ता के तौर पर शामिल रायपुर हिदायतुल्ला नेशनल ला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और गृह विभाग से असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट प्रोसेक्शन आफिसर शुभम तोमर ने नए कानून के तहत सजा प्रविधानों व डिजिटल साक्ष्यों की मान्यता व साक्ष्य संबंधी प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया के सरलीकरण के दिशा में किए गए प्रबंधों की विस्तार से जानकारी दी। नए अपराधिक कानून के संशोधन पर प्रोफेसर अभिनव शुक्ला ने बताया कि नई भारतीय न्याय संहिता 2023 में व्यापक बदलाव किए गए है। कुछ अपराध ऐसे थे, जो किसी भी अपराध की धाराओं में नहीं आते थे, वे छूट जाते थे। उसके लिए धारा लाई गई है। जीरो एफआइआर की व्यवस्था के साथ अब ई-एफआइआर की व्यवस्था लागू की जाएगी।
कोई भी व्यक्ति अपने संबंधित थाने में एफआइआर दर्ज करा सकता है, लेकिन इसके लिए ई-एफआइआर रजिस्टर्ड करने के तीन दिनों के भीतर संबंधित थाने में पहुंचकर वेरिफाई कराना आवश्यक होगा, तभी ई-एफआइआर मान्य होगा। अगर तीन दिन के भीतर संबंधित थाने में प्राथी नहीं पहुंचेगा तो वह ई-एफआइआर मान्य नहीं होगी। असल में यह व्यवस्था नागरिकों के लिए इसलिए शुरू की जा रही है, ताकि समय पर अपनी शिकायत थाने में दर्ज करा सके। महिलाओं और बच्चों के लिए भी नई संहिता में चैप्टर जोड़ा गया है। आइपीसी की धाराएं अलग-अलग थी, उसे संगठित किया गया है।
माब-लिंचिंग के लिए धारा 103 (2) के तहत दर्ज होगा अपराध, जब्ती प्रकरणों में अब वीडियोग्राफी की अनिवार्यता माब-लिंचिंग अब तक अपराध की श्रेणी में नहीं आता था, ऐसे में इसके लिए भी नई धारा जोड़ी गई है। धारा 103 (2) के तहत अपराध दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही सजा का भी प्रविधान है।