इनके सामने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया
राज्यपाल श्री रमेन डेका ने विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) श्री एमबी ओझा जी के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और युद्ध में भारत की विजय के साक्षी भी रहे, मॉं भारती की रक्षार्थ अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले ऐसे वीर सैनिक को शत-शत् नमन।
साथ ही राज्यपाल ने कहा कि श्री एमबी ओझा जी 1971 के युद्ध के साथ-साथ अनेक मिशनों में सभी को अपने अद्भुत शौर्य एवं पराक्रम से परिचित कराया। राज्यपाल श्री डेका ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में आश्रय एवं परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की।
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी एमबी ओझा के निधन पर दुख व्यक्त किया है। ओझा पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
1971 की लड़ाई में MB ओझा की भूमिका MB ओझा एयर ट्रैफिक कंट्रोल और रडार सिस्टम पर काम किया करते थे। रडार के जरिए ही एयरफोर्स को दुश्मन के फाइटर जेट के बारे में पता चलता है। 14 दिसंबर को भारतीय सेना को पता चलता कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में दोपहर 11 बजे एक मीटिंग होने वाली है।
भारतीय सेना ने तय किया कि मीटिंग के वक्त ही गवर्नमेंट हाउस पर बम बरसाए जाएंगे। इसके बाद ओझा की टीम की निगरानी में इंडियन एयरफोर्स के मिग-21 विमानों ने उड़ान भरी। इन फाइटर जेट्स ने गवर्नमेंट बिल्डिंग की छत उड़ा दी।
उस मीटिंग में तब के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के सेना प्रमुख जनरल नियाजी भी मौजूद थे, जो उस हमले में बाल-बाल बच निकले। इंडियन एयरफोर्स के उस हमले के बाद पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से घुटनों पर आ गई।