रायपुर, 16 नवम्बर। छत्तीसगढ़ ईसाई आदिवासी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार किसपोट्टा, महासचिव अभिनन्द खलखो ने राज्यपाल रमेन डेका से राज्य में ईसाई समुदाय को संविधान अनुच्छेद 25 के अंतर्गत धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के हनन को रोकने कदम उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार द्वारा सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता है तो सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर न्याय और मदद की गुहार लगाने के लिए विवश होंगे।
जशपुर जिले के अध्यक्ष, महासचिव सिंहासन मिंज, वाल्टर कुजूर के साथ रायपुर में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि विगत कुछ अवधि में छत्तीसगढ़ के विभिन्न थानों में पास्टरों एवं ईसाई नागरिकों पर धर्मान्तरण से संबंधित जुर्म दर्ज किए गए है। कोई भी ईसाई धर्म प्रचारक बल प्रयोग द्वारा या कपटपूर्ण साधन द्वारा किसी व्यक्ति का धर्मान्तरण नहीं कराता है।
पास्टरों और आम ईसाइयो पर अवैध धर्मान्तरण का झूठा प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। किसपोट्टा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि, हर धर्मान्तरण अवैध नहीं होता है। इसके तहत महासभा ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल को आज ज्ञापन सौंपा है। इसमें बताया गया है कि प्रार्थनालयों में प्रार्थना हेतु एकत्र ईसाईयों पर कुछ विशेष संगठन के लोगों के द्वारा उत्पात और हमला किया जा रहा है। पुलिस की मौजूदगी में ईसाईयों के साथ गाली गलौज और मारपीट की जा रही है।
संगठन विशेष के लोग ईसाईयों को डरा धमकाकर उनसे जबरन अपने धर्म विशेष के कुछ नारे लगवा जबरन अपने धर्म का पाठ कराया जा रहा है। धर्मान्तरण का झूठा आरोप लगाया जाकर निर्दोष पास्टरों और आम ईसाईयों को हिरासत में लेकर प्रताडति और जेल में डाला जा रहा है। इनके विरुद्ध पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराए जाने हेतु आवेदन-पत्र दिए जाने पर भी शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है। पुलिस द्वारा भेदभावपूर्ण कार्यवाही की जा रही है।