अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर (Jimmy Carter Passes Away) का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया. जिमी कार्टर सबसे लंबी उम्र तक जीने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे. 2015 में उन्होंने खुद ही अपने ब्रेन कैंसर की जानकारी साझा की थी. पूर्व राष्ट्रपति फरवरी 2023 से ही स्वास्थ्य कारणों की वजह से अपने जॉर्जिया स्थित घर में ही डॉक्टर्स की निगरानी में थे. रविवार 29 दिसंबर को उनके द्वारा चलाए जाने वाले एक नॉन-प्रॉफिट संस्थान ने उनके निधन की जानकारी दी.
1977 से 1981 तक उनके कार्यकाल में उपलब्धियों के साथ-साथ आलोचना भी उनके हिस्से आई. जिमी कार्टर को इजरायल और इजिप्ट के बीच मध्यस्थता कराने के लिए याद किया जाता है. इस मध्यस्थता को कैंप डेविड अकॉर्ड्स (Camp David Accords 1978) कहा जाता है. शुरुआत के 2 साल बेहतर बीतने के बाद 1979-80 में जो हुआ, उसे उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा धब्बा माना जाता है. इस घटना को Iran Hostage Crisis कहा जाता है. 4 नवंबर 1979 से 20 जनवरी 1981 तक ईरान में 52 अमेरिकी डिप्लोमैट्स को बंधक बनाकर रखा गया. अपहरण करने वाले कॉलेज के स्टूडेंट्स थे जो ईरान की इस्लामिक क्रांति से प्रभावित थे. 444 दिनों तक चलने वाले इस होस्टेज क्राइसिस को जिमी कार्टर की छवि को खासा धक्का लगाया था.
जिमी कार्टर को साल 2002 में नोबल शांति पुरस्कार भी दिया गया था. वैश्विक शांति के लिए उनके प्रयासों, लोकतंत्र के प्रति उनके कामों के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जिमी कार्टर एक बहुत ही सामान्य बैकग्राउंड से आते थे. इसी वजह से देश में उनकी लोकप्रियता भी थी. पीच राज्य का गवर्नर बनने से पहले वो प्लेंस, जॉर्जिया के अपने खेतों में मूंगफली की खेती करते थे. इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी नौसेना में भी सेवाएं दीं.
इसके अलावा उन्हें तेल के क्राइसिस को भी ठीक ढंग से हैंडल न करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा. 1980 में हुए चुनावों में कार्टर फिर से खड़े हुए, पर उन्हें रिपब्लिकन कैंडिडेट और भूतपूर्व एक्टर रॉनल्ड रीगन के आगे हार का सामना करना पड़ा. पर कार्टर एक ऐसे राष्ट्रपति थे जो प्रेजिडेंसी के बाद भी सक्रिय रहे. 1982 में उन्होंने कार्टर सेंटर की स्थापना की. वैश्विक कूटनीति को ध्यान में रख कर उन्होंने इस सेंटर को बनाया था.