ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी ने ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफ़ाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.
दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन पर मुस्तफाबाद में चुनाव प्रचार के दौरान फूलों की बारिश की गई. जब ताहिर हुसैन सड़कों से गुजर रहे थे तब छतों से लोगों ने उन पर फूल बरसाए. उनका स्वागत किया. उनके सम्मान में नारेबाजी की. AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन ने कहा, पांच साल बाद मुझे जेल से बाहर आने का मौका मिला है और मैं बहुत खुश हूं. जब मैं जेल से बाहर आ रहा था तो चिंतित था, लेकिन मैं खुश हूं अब क्योंकि इतने सारे लोग यहां मुझसे मिलने आए. मेरी एक झलक देखने आए. इससे पता चलता है कि पहली बार मुस्तफाबाद से एक व्यक्ति, एक बेटा, एक भाई विधायक बनने जा रहा है.
उनका हाथ पकड़े हथियारों से लैस दिल्ली पुलिस के जवान उनके साथ-साथ चल रहे हैं. किसी भी समर्थक या व्यक्ति को इस पुलिस घेरे में आने की इजाज़त नहीं है.
करीब दर्जन भर पुलिसवालों के बीच घिरे ताहिर गली-गली घूमकर लोगों से ‘पतंग’ के सामने वाला बटन दबाने की अपील कर रहे हैं.
ख़ुद असदुद्दीन ओवैसी उनके प्रचार के लिए घूम- घूमकर वोट मांग रहे हैं. उनका कहना है, “पांच साल जेल में बंद शख़्स ताहिर हुसैन का अदालत इंसाफ़ करेगी. आपको अपने वोट से ताहिर हुसैन को इंसाफ़ दिलाना है…ताहिर हुसैन नहीं जीतेगा तो कोई आपकी हिफ़ाज़त नहीं कर पाएगा.”
धार्मिक ध्रुवीकरण की बिछेगी बिसात
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी खुलकर हिंदुत्व का एंजेडा सेट कर रही है तो ओवैसी ने मुस्लिम वोटों पर ही फोकस कर रखा है. सीएम योगी ने दिल्ली में अपने प्रचार को धर्मयुद्ध का नाम दिया तो ओवैसी दंगे के जख्मों को कुरेद रहे हैं. ओवैसी अपनी हर रैली में बीजेपी के साथ-साथ केजरीवाल को निशाने पर ले रहे हैं. ताहिर हुसैन और शिफाउर रहमान को निर्दोष बता रहे हैं तो बीजेपी उन्हें दंगे का मुलजिम बता रही है.
ओवैसी ने अपने भाषण में कहा कि दिल्ली के मुसलमानों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हमारी पार्टी मैदान में है. हमें धर्म के आधार पर बांटने की साजिशों को नाकाम करना होगा. ताहिर हुसैन ने चुनाव प्रचार में उतरते ही अपने सियासी तेवर भी दिखाने शुरू कर दिए हैं. वो साफ-साफ शब्दों में ओवैसी को मुस्लिमों का हमदर्द बता रहे हैं तो कांग्रेस और AAP को मुस्लिम विरोधी कठघरे में खड़े करने में जुटे हैं.
दिल्ली चुनाव का क्या बदल जाएगा सीन
दिल्ली के चुनावी समीकरण में मुस्लिम वोटबैंक अहम भूमिका निभाता है. दिल्ली की करीब 13 फीसदी आबादी मुस्लिम वोटों की है, जो 9 विधानसभा सीटों पर निर्णायक मानी जाती है. 2020 में आम आदमी पार्टी की तरफ से मुस्लिमों का झुकाव रहा पर इस बार कांग्रेस और AIMIM भी इसे अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं. ओवैसी ने पहले ही मुस्लिम सेंटिमेंट्स को भुनाने के लिए दंगों के आरोपियों को टिकट दिया और अब उनके लिए वोट मांग रहे हैं तो ताहिर के उतरने से दिल्ली के चुनाव का सीन बदल सकता है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव की लड़ाई बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच दिख रही है, लेकिन कांग्रेस उसे त्रिकोणीय बनाने में जुटी है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली के मुस्लिम इलाके की दो सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारकर मुस्लिमों के विश्वास को हासिल करने का दांव चला है. ताहिर हुसैन को पहले टिकट देने और अब चुनाव प्रचार में उतराने से धार्मिक ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गई है. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता ताहिर हुसैन के मामले को सियासी तूल दे सकते हैं, जिसके चलते दिल्ली में हिंदू और मुस्लिम वोटों के बीच बंटवारा हो सकता है. इसके चलते दिल्ली चुनाव का सीन बदल सकता है.