नई दिल्ली. देश में हर साल करीब 10 लाख होम लोन दिए जाते हैं. इनमें से करीब 70 फीसदी ऐसे मामले होते हैं जिनमें बैंक, एनबीएफसी या अन्य वित्तीय संस्थान होम लोन की राशि बिल्डर को ट्रांसफर करने से पहले ही ग्राहक से ईएमआई (EMI) की वसूली शुरू कर देते हैं. बैंक बिल्डर को ट्रांसफर होने वाली रकम का चेक बनाकर ही ग्राहक से ब्याज बसूलने लगते हैं. जबकि आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार ऐसा करना गलत है!.
होम लोन लेने वाले ग्राहकों द्वारा दर्ज इस तरह के मामलों में दर्ज कराए जाने वाली शिकायतें 3 साल में लगभग दोगुनी हो गई हैं. 2020-21 में इस तरह के 20,218 मामले दर्ज कराए गए थे, वहीं 2021-22 में इन मामलों की संख्या 24,507 थी. जबकि 2022-23 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 39,579 हो गई!.
लोन आवंटन से पहले ब्याज शुरू
दैनिक भास्कर के अनुसार, कई बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान होम लोन की प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही ग्राहकों से ब्जाज लेना शुरू कर देते हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें लोन आवंटन की प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई और बिल्डर के खाते में पैसे भी नहीं आए लेकिन बैंकों ने ग्राहक से ब्याज लेना शुरू कर दिया!!
रिपोर्ट के मुताबिक, होम लोन मंजूर करने या ग्राहक से लोन का करार होने के तुरंत बाद ही बैंक ब्याज की वसूली शुरू कर देते हैं. वे राशि के आवंटन तक का इंतजार भी नहीं करते. जबकि नियम ये है कि राशि ट्रांसफर होने के बाद ही बैंक ग्राहक से ब्याज ही वसूली शुरू कर सकते हैं. नियम यह भी है कि अगर लोन की राशि महीने के बीच में आवंटित की जा रही है, तो बैंक उसके बाद के बचे दिनों का ही ब्याज ले सकते हैं, लेकिन इन नियमों की भी अनदेखी कर ग्राहकों से पूरे महीने का ब्याज लिया जा रहा है1
बैंक वसूल रहे अतिरिक्त ब्याज
कई मामलों में बैंक लोन की एक ईएमआई अतिरिक्त ले लेते हैं, लेकिन ब्याज की गनणा पूरी लोन राशि पर ही करते हैं. आरबीआई की नई गाइलाइंस के मुताबिक, ये निष्पक्षता व पारदर्शिता के भावना के विपरीत है. ऐसे में बैंक जो अतिरिक्त राशि लेते हैं उन्हें तुरंत वापस करने के नियम का उल्लेख है!
पैसा वसूलने पर बैंकों की अजीब दलील
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ऐसा करने के पीछे अजीब तर्क देते हैं. हेराफेरी करने वाले बैंक कहते हैं कि रजिस्ट्री के समय चेक नंबर लगता है. इसलिए चेक बनाए जाते हैं. इसके बाद ट्रांजैक्शन कोट जनरेट होता है जो रजिस्ट्री में लगता है. लेकिन फंड ट्रांसफर के बाद यदि बिल्डर रजिस्ट्री से इंकार कर दे तो बैंकों का पैसा ही अटक जाएगा. लेकिन जानकारों का कहना है कि रजिस्ट्री में बैंक खुद पार्टी होती है. ऐसे में वह रियल टाइम में कोड जनपेट कर सकते हैं, लेकिन बैंक चेक बनाकर ब्याज शुरू कर देते हैं!
आपके साथ भी ऐसा हो तो यहां करें शिकायत
आरबीआई की गाइडलाइंस कहती हैं कि भले ही लोन की राशि का चेक बन गया हो लेकिन यह बिल्डर को ट्रांसफर नहीं हुआ तो साफ है कि इस राशि का उपयोग नहीं हुआ है. ऐसे में इस अवधि में ग्राहक से ईएमआई या बियाज लेना गलत है. ग्राहक बैंक से तत्काल राशि वापस करने की अपील कर सकते हैं. अगर बैंक ऐसा करने से मना कर दें तो बैंकिंग लोकपाल में शिकायत की जा सकती है!