रायपुर में सरकारी विभागों की लापरवाही की वजह से पांच साल से आरडीए औरहाउसिंग बोर्ड की करीब 34 कॉलोनियों के डेढ़ लाख से ज्यादा रहवासी सफाई, पानी और सड़क के लिए परेशान हो रहे हैं।यहां ना तो पार्क हैं और ना ही बिजली की पर्याप्त व्यवस्था। इस सब के बावजूद तीनों विभाग हैंडओवर को तैयार हैं, लेकिन काम फाइलों में ही अटका है।अब अफसर आचार संहिता का हवाला देकर अगले छह महीने में इस काम को पूरा करने की बात कह रहे हैं।
ये कॉलोनी होना हैं निगम को हैंडओवर
हाउसिंग बोर्ड की कचना, कचना फेस 2, कबीर नगर, हीरापुर, दोंदेखुर्द, धनसुली, सेजबहार, परसुलीडीह, खिलौरा और आरडीए की इंद्रप्रस्थ रायपुरा, शैलेंद्र नगर, राजेंद्र नगर, न्यू राजेंद्र नगर, टिकरापारा, गबरापारा, मैकेनिक नगर, रांवाभाठा, डॉ. खूबचंद बघेल ट्रांसपोर्ट नगर, श्यामाप्रसाद मुखर्जी आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्र समेत कुल 34 कॉलोनियां निगम को हैंडओवर होनी हैं। इन कॉलोनियों से निगम संपत्ति कर भी वसूल रहा है।इसके बावजूद पांच साल से यह मामला अटका है।
विभागों के अपने-अपने तर्क
- निगम का कहना है कि हैंडओवर करने से पहले विभाग पूरी तरह आश्वस्त होना चाहता है कि इन कॉलोनियों में हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की ओर से मेंटेनेंस में कोई कमी तो नहीं है।
- हर बार यही फैसला लिया कि हाउसिंग बोर्ड, आरडीए और निगम के इंजीनियरों की संयुक्त टीम सर्वे करेगी। सभी कॉलोनियों की जांच चरणबद्ध होगी। इस रिपोर्ट के बाद ही हैंडओवर होगा।
- हाउसिंग बोर्ड और आरडीए का कहना है कि निगम इन मकानों से संपत्तिकर वसूल रहा है। इसके बावजूद पांच साल से इन कॉलोनियों को निगम क्षेत्र में शामिल नहीं कर रहा है।
- मकानों के मेंटेनेंस का काम हाउसिंग बोर्ड और आरडीए वाले करेंगे। लेकिन निगम को हैंडओवर के बाद यहां की सफाई और सड़क मार्गों का निर्माण उन्हीं को ही करना होगा।
- कालोनियों की जिम्मेदारी नहीं लेने की एक वजह यह भी है कि अधिकांश कालोनियां पुरानी हो चुकी है। इनके रख-रखाव और मरम्मत के लिए बड़ी राशि की जरूरत होगी।