खरीदी बंद करने की नौबत,49 लाख मीट्रिक धान जाम
छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन राइस मिलर्स की हड़ताल के चलते उपार्जन केन्द्रों से धान का उठाव नहीं हो रहा है। इससे ज्यादातर समितियों में धान जाम हो गया है और धान खरीदी का कार्य प्रभावित हो रहा है। कुछ प्राथमिक सहकारी समितियों में उपार्जित धान को रखने की जगह नहीं होने के कारण धान खरीदी का कार्य बंद करने की नौबत आ गई है। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग प्रोत्साहन राशि 80 रुपए करने तथा खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में राइस मिलों को लंबित प्रोत्साहन राशि की प्रथम किस्त दिए जाने के निर्णय के बाद भी राइस मिलर्स अपनी अन्य मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन और राज्य शासन के बीच मांगों व हड़ताल खत्म किए जाने को लेकर उच्च स्तरीय चर्चा चल रही है, लेकिन अभी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर अब तक 50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। धान खरीदी के एवज में 10.61 लाख किसानों को 10771 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। धान खरीदी का यह अभियान 31 जनवरी 2025 तक चलेगा। अधिकारियों का दावा है कि धान खरीदी के साथ-साथ कुछ मिलर्स द्वारा धान का उठाव भी शुरू कर दिया गया है। 3.13 लाख मीट्रिक टन धान के लिए डीओ जारी किया गया है, जिसके विरुद्ध 75 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया है
मांग पूरी होने तक धान उठाव नहीं : राइस मिलर्स
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि मिलिंग प्रोत्साहन राशि 80 रुपए करने का निर्णय तो लिया गया है, लेकिन वर्ष 2022-23 की बकाया राशि का भुगतान बाकी है। वहीं, मिलर्स को धान परिवहन के लिए वास्तविक भाड़ा भी नहीं दिया जा रहा है। इससे राइस मिलर्स को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब तक शासन द्वारा राइस मिलर्स की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक राइस मिलर्स धान का उठाव व मिलिंग का कार्य नहीं करेंगे ।
मार्कफेड के प्रबंध संचालक रमेश शर्मा ने बताया कि सभी जिला कलेक्टरों व विपणन अधिकारियों को धान का उठाव नहीं होने के कारण उपार्जन केन्द्रों में धान की खरीदी किसी भी स्थिति में बंद नहीं किए जाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। उपार्जन केन्द्रों में धान रखने की जगह नहीं होने की स्थिति में गांव के अन्य बड़े परिसर या मैदान जाने कहा गया है, ताकि किसानों को किसी में किसानों से धान की खरीदी किए प्रकार कोई दिक्कत न हो।