देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कैंसर उपचार संबंधी सिद्धू की टिप्पणी पर न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी नहीं
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के अपनी पत्नी के कैंसर का उपचार प्राकृतिक आयुर्वेदिक पद्धति से करने संबंधी टिप्पणी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि सिद्ध अपनी निजी राय व्यक्त कर रहे हैं और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
न्यायाधीश ने कहा, एक टेलीविजन धारावाहिक था, जिसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। हमने कहा कि आप टीवी बंद कर दें और इसे न देखें। पीठ ने कहा वह (सिद्ध) आपसे इसका पालन करने के लिए नहीं कह रहे हैं। वह सिर्फ यह कह रहे हैं कि उन्होंने ऐसा किया।
मांग की गई थी। पीठ ने कहा, आप सिगरेट और शराब के निर्माण के खिलाफ जनहित याचिका दायर करें। इसके बाद याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका वापस लेने का विकल्प चुना।
21 नवंबर को अमृतसर में एक संवाददाता सम्मेलन में सिद्धू ने कहा था कि उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू कैंसर मुक्त हो गई हैं। उन्होंने पत्नी की कैंसर मुक्ति में आहार और जीवनशैली में बदलाव की भूमिका पर जोर दिया। कैंसर विशेषज्ञों ने उनके इस दावे पर सवाल उठाए कि आहार से उनकी पत्नी को स्टेज 4 के कैंसर से लड़ने में मदद की। इसके बाद सिद्धू ने 25 नवंबर को स्पष्ट किया कि आहार योजना डॉक्टरों के परामर्श से लागू की गई थी।
कोर्ट ने याचिका पर गौर करने से किया इंकार
हाई कोर्ट के यह साफ करने पर कि इस रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है, याचिकाकर्ता ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि, ‘‘ हम इस रिट याचिका पर गौर नहीं कर सकते। हजारों लोग दावा करते हैं कि वे किसी चीज से ठीक हो गये लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है कि आप उनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग करेंगे।” सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कैंसर के शत प्रतिशत इलाज संबंधी सिद्धू के दावे के खिलाफ हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या तुलसी और अश्वगंधा फोर्थ स्टेज के कैंसर को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं।