डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद शोक संतप्त परिवार में उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां हो रही हैं। बेटी के अमेरिका से भारत पहुंचने का इंतजार हो रहा है। ऐसे में एक जिज्ञासा यह भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मुखाग्नि कौन देगा? दरअसल, शास्त्रों में अंतिम संस्कार के लिए बेटियों के अलावा भी कई और लोगों को भी अधिकारी माना गया है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तीन बेटियां हैं।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। उनके सम्मान में केंद्र सरकार ने सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। फिलहाल डॉ. सिंह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए उनके निवास मोतीलाल नेहरू रोड के बंगला नंबर तीन में रखा गया है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में रखा जाएगा, जहां आम लोग और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। जानकारी के मुताबिक, मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार कल होगा। उनकी बेटियां आज शाम तक अमेरिका से भारत आ जाएंगी। हालांकि उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कौन पूरा करेगा? मुखाग्नि कौन देगा? इसे लेकर कई सवाल लोगों के मन है।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तीन बेटियां हैं। पूर्व पीएम की तीनों बेटियां का अपने-अपने क्षेत्र में बड़ा नाम हैं। उनकी बड़ी बेटी उपिंदर सिंह 65 साल की हैं। उनके दो बेटे हैं। जबकि दूसरी बेटी दमन सिंह 61 साल की हैं। उनका एक बेटा है। वहीं, तीसरी बेटी अमृत सिंह 58 साल की हैं। ऐसे में ये सवाल बार बार पूछा जा रहा है कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कौन पूरा करेगा? उन्हें अंतिम मुखाग्नि कौन देगा? बेटा नहीं होने की स्थिति में ये भूमिका उनकी बेटियों के जिम्मे होगी या फिर बेटियों के बेटे उन्हें मुखाग्नि देंगे या फिर ये काम कोई और करेगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि मृत्यु के बाद शव को मुखाग्नि देना महत्वपूर्ण कर्तव्य है। ये जिम्मेदारी परंपरागत रूप से पुत्र या निकटतम पुरुष रिश्तेदार द्वारा निभाई जाती है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति की केवल बेटियां हों, तो इस बारे में अलग परिपाटियां और परंपराएं भी शुरू हो चुकी हैं। जिसे स्वीकार भी किया जा चुका है। शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि कन्या या पुत्री को भी वही अधिकार है जो पुत्र को है। मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति वह होना चाहिए जो मृतक के प्रति अपने धर्म और कर्तव्य को निभाने में सक्षम ।
बेटियां या नाती भी कर सकते है अंतिम संस्कार!
आधुनिक समय में कई स्थानों पर बेटियां अपने माता-पिता को मुखाग्नि देती हैं। इसे सामाजिक और कानूनी मान्यता भी दी जा रही है। कई धार्मिक गुरुओं और शास्त्रों के जानकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि बेटियां भी माता-पिता का अंतिम संस्कार कर सकती हैं। यह पूरी तरह से वैध और उचित है। जहां तक कानून की बात है तो भारत में अंतिम संस्कार करने के लिए ऐसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि यह केवल पुत्र ही करे। बेटियां, पत्नी या कोई अन्य परिजन भी यह कर्तव्य निभा सकते हैं।
लेकिन कई बार नाती भी ये भूमिका निभाता है। पूर्व पीएम को मुखाग्नि उनके तीन नातियों में कोई एक भी दे सकता है। भारतीय शास्त्रों और परंपराओं में यह व्यवस्था है कि अंतिम संस्कार का कर्तव्य निभाने वाला व्यक्ति मृतक का निकटतम परिजन होना चाहिए, चाहे वह पुत्र, दामाद, नाती, या अन्य कोई हो। नाती को परिवार का अंग माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से वह अपने नाना के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हुए यह कर्तव्य निभा सकता है।